सामुदायिक सहयोग हेतु कार्य-योजना निर्माण कैसे करें?

विद्यालय प्रबंध समिति (SMC) के सदस्य विद्यालय और समुदाय के बीच प्रमुख सेतु हं भूमिका निभा सकते हैं।

इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर प्रत्येक विद्यालय को एस०एम०सी0 सहयोग से सामुदायिक सहयोग की कार्य योजना विकसित करनी होगी। कार्य योजना के संभावित क्षेत्र निम्नवत हो सकते हैं।


(अ) भौतिक संसाधन-चहारदिवारी, पंखा, फर्नीचर, स्टेशनरी, पेयजल, स्मार्ट बोर्ड, शैक्षिक तकनीकी से संबंधित उपकरण आदि।


(ब) मानवीय संसाधन-सामुदायिक संसाधनों का कक्षा-कक्षीय एवं अन्य सहशैक्षिक क्रियाकलाप में उपयोग।

 उक्त बिन्दुओं के परिप्रेक्ष्य में हमें अपनी संस्था उपलब्ध भौतिक / मानवीय संसाधनों की उपलब्धता की समीक्षा करने के बाद विद्यालय की आवश्यकताओं का चिह्नांकन करना होगा तदुपरान्त उन आवश्यकताओं का वर्गीकरण करते हुए सामुदायिक सहभागिता के प्रकार को स्पष्ट रूप से रेखांकित करते हुए समुदाय से संपर्क स्थापित करना होगा।

 इस प्रकार आवश्यकताओं के अनुसार संदर्भों/ स्रोतों की मदद लेते हुए कार्य योजना विकसित कर हम अपने कार्य को और बेहतर बना सकते हैं तथा समुदाय से बेहतर जुड़ाव स्थापित कर सकते हैं ।


            सामुदायिक सहयोग की कार्य योजना


इस कार्य योजना का सुनियोजित क्रियान्वयन न केवल आपके विद्यालय को आदर्श बनाने में मदद करेगा बल्कि आपको अपने कार्य क्षेत्र में लोकप्रिय भी बनाएगा।


सामुदायिक सहभागिता की गतिविधियाँ


अध्यापकों द्वारा अभिभावकों से बैठक में प्रतिभाग करने हेतु व्यक्तिगत तौर पर संपर्क किया जाय।


समस्त अध्यापकों द्वारा विद्यालय प्रबन्धन समिति की मासिक बैठक में प्रतिभाग किया जाय । लेखपाल, ए.एन.एम. और ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि से संपर्क कर एस०एम०सी0 की बैठक में प्रतिभाग करने हेतु अनुरोध किया जाय।


बैठक में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति पर चर्चा की जाय। यदि छात्र छात्राओं की उपस्थिति 60 प्रतिशत से कम है तो अभिभावकों के साथ विचार-विमर्श किया जाय कि बच्चों की उपस्थिति को कैसे बढ़ाया जाय।


एस.एम.सी. की मासिक बैठक में विद्यालय न आने वाले बच्चों का विवरण तैयार कर उनके परिवारों से सम्पर्क करके यथा सम्भव सहायता प्रदान कर उन्हें अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया जाये।


. बैठक में अभिभावकों के साथ निःशुल्क पाठ्य-पुस्तकों, यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्कूल बैग एवं स्वेटर वितरण पर चर्चा एवं छात्र छात्राओं को प्रत्येक दिन यूनिफॉर्म में आने के लिये प्रेरित किया जाये।


एम.डी.एम. योजना के अन्तर्गत मीनू के अनुसार नियमित रूप से भोजन वितरण एवं व्यवस्था में सहयोग लिया जाय।


- विद्यालय भवन के रख-रखाव एवम् साफ सफाई की व्यवस्था पर चर्चा की जाए।


- स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कारीगरों, संगीत, कहानी सुनाने में निपुण अभिभावकों को विद्यालय में आमंत्रित कर बच्चों को जानकारी दी जाए।


- एस०एम०सी० की बैठक में लिये गये निर्णयों व कार्यवृत्ति के अभिलेखीकरण को एस०एम०सी0 बैठक रजिस्टर में दर्ज करते हुए प्रेरणा ऐप (PRERNA App) पर अपलोड किया जाए।

 विद्यालय प्रबन्धन समिति (एस0एम0सी0) के सदस्यों द्वारा बैठकों में लिये गये उनके निर्णयों को समुदाय में सार्वजनिक किया जाय जिससे समुदाय के लोग भी विद्यालय के प्रति संवेदनशील व अपने सभी बच्चों के शत-प्रतिशत नामांकन, उपस्थिति, ठहराव एवं गुणवत्तायुक्त शिक्षा में एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते सहयोग प्रदान करें।


- एस0एम0सी0 के कार्यों एवं उनके उत्तरदायित्वों के बोध एवं सभी समुदाय के लोगों को जागरूक करने के लिए जनपहल रेडियो कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है।

 यह कार्यक्रम समुदाय को इस बात के लिए प्रेरित करता है कि एस०एम०सी0 के सदस्य एवं अभिभावक कैसे अपने कार्यों और उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेंगे।

प्रत्येक एस0एम0सी0 के सदस्य को "जन पहल हस्त पुस्तिका उपलब्ध करायी गया है, जिसमें बाल अधिकार, शिक्षा का अधिकार अधिनियम, विद्यालय प्रबन्धन समिति की संरचना एवं गठन, विद्यालय विकास योजना, विद्यालय प्रबन्ध समिति एवं स्थानीय प्राधिकारी के सदस्यों के कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों, को स्पष्ट किया गया है।

 इसमें बच्चों की शिक्षा एवं विद्यालय के संचालन एवं प्रबंधन में विद्यालय प्रबन्ध समितियों द्वारा मासिक बैठक, एस०एम०सी0 बैठक रजिस्टर, दिव्यांग बच्चे, हाउस होल्ड सर्वे, विशेष प्रशिक्षण, गुणवत्ता शिक्षा एवं बालिका शिक्षा के अन्तर्गत किये जा रहे कार्यक्रमों, यथा कायाकल्प /स्वच्छ भारत अभियान, जन पहल रेडियो कार्यक्रम, मध्याहन भोजन योजना एवं स्कूल में बच्चों की सुरक्षा हेतु गाईडलाइन की जानकारी, के साथ सामान्य अभिलेखों, वित्तीय अभिलेखों का रखरखाव, एस0एम0सी0 का ग्राम शिक्षा समिति/ स्थानीय प्राधिकारी एवं अन्य विभागों से समन्वय के बारे में जानकारी दी गयी है।


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