समावेशी शिक्षा क्या है? समावेशी शिक्षा की विशेषताएं एवं रिपोटिंग/डाक्युमेन्टेशन
कक्षा में बच्चों के साथ कार्य करते हुए आपने अनुभव किया होगा कि हर बच्चा स्वयं में कोई न कोई विशिष्टता एवं विविधता लिए होता है । उनके रुचि और रुझानों में भी यह विविधता पाई जाती है। यह विविधता काफी हद तक उनके परिवेश एवं परिस्थितियों के कारण या शारीरिक आकार प्रकार से प्रभावित होती है। बच्चों में इस विविधता के कारण कुछ खास श्रेणियाँ उभरकर आती हैं। जैसे- तेज/धीमी गति से सीखने वाले, शारीरिक कारणों से सीखने में बाधा अनुभव करने वाले बच्चे, परिवेशीय व लैंगिक विविधता वाले बच्चे। इनमें कुछ और श्रेणियाँ भी जुड़ सकती हैं। शिक्षक के रूप में इतनी विविधता से भरे बच्चों को हमें कक्षा के भीतर सीखने का समावेशी वातावरण देना होता है। समावेशी शिक्षा अर्थात् ऐसी शिक्षा जो सबके लिए हो। विद्यालय में विविधताओं से भरे सभी प्रकार के बच्चों को एक साथ एक कक्षा में शिक्षा देना ही समावेशी शिक्षा है। समावेशी शिक्षा से तात्पर्य है वह शिक्षा जिसमें किसी एक विशेष व्यक्ति श्रेणी पर निर्भर न होकर सभी को शामिल किया जाता है । "समावेशन शब्द का अपने-आप में कुछ खास अर्थ नहीं होता है। समावेशन के चारों ओर जो वैचारिक, दार्