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मार्च 17, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उच्च प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापक के पद पर पदोन्नति का रास्ता साफ, हाईकोर्ट ने नियमावली के अनुसार वरिष्ठता सूची बनाने के दिए आदेश

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प्रयागराज  :  परिषदीय उच्च प्राथमिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक पद पर पदोन्नति का रास्ता तकरीबन एक दशक बाद साफ हो गया है। पदोन्नति में आरक्षण का लाभ देते हुए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के शिक्षकों को समय से पहले पदोन्नति दे दी गई थी।  हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था निरस्त कर दी और प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों ने पदोन्नत अधिकारियों-कर्मचारियों को वापस उनके मूल पद पर भेज दिया था लेकिन बेसिक शिक्षा विभाग में पदोन्नत शिक्षकों को रिवर्ट नहीं किया गया। इसके चलते वरिष्ठता का विवाद बना रहा और 2015 के बाद से पदोन्नति रुकी हुई थी। वरिष्ठता मौलिक नियुक्त से हो या नए कैडर में प्रमोशन की तिथि से इस पर भी विवाद था। सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के जिन शिक्षकों की पदोन्नति एससी/एसटी शिक्षकों के बाद हुई उन्होंने इसे लेकर कोर्ट में याचिकाएं की थीं।  इस मामले में दायर 36 याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 11 मार्च को अध्यापक सेवा नियमावली 1981 के अनुसार वरिष्ठता का निर्धारण सेवा कैडर में मौलिक नियुक्ति से करने के आदेश दिए हैं।

प्रोन्नति में टीईटी बाधा नहीं बनेगा, वर्ष 2010 से पूर्व तैनात सहायक शिक्षकों को राहत

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 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि 23 अगस्त 2010 से पूर्व सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए अध्यापकों को जूनियर हाईस्कूल में प्रोन्नत करने के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य नहीं है। कोर्ट के इस निर्णय के बाद प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त उन सहायक अध्यापकों की जूनियर हाईस्कूल में प्रोन्नति का रास्ता साफ हो गया है, जिनकी नियुक्ति 23 अगस्त 2010 से पूर्व हुई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने शिवकुमार पांडेय व दर्जनों अन्य याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत सहायक अध्यापकों ने यह कहते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि राज्य सरकार ने उनकी प्राथमिक विद्यालयों से उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रोन्नति इस आधार पर रोक दी है कि वे सीनियर टीईटी उत्तीर्ण नहीं हैं जबकि ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार व एनसीटीई से जवाब तलब किया था। एनसीटीई की ओर से दाखिल हलफनामे में बताया गया कि 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना के क्लाज चार में स्पष्ट है कि इस अधिसूचना के जारी होने से पूर्व नियुक्त अध्या

वर्षों बाद जिले के अंदर समायोजन की होगी कवायद, 30 सितंबर 2023 की छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों का होगा समायोजन

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परिषदीय विद्यालयों में वर्षों बाद शिक्षकों के जिले में समायोजन की आस जगी है। 30 सितंबर 2023 की छात्र संख्या के आधार पर इस वर्ष मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों के एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में स्थानांतरण किए जाएंगे। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव ने एक आदेश जारी कर जनपद के भीतर समायोजन व स्थानांतरण की पूरी तैयारी करने के निर्देश दिए हैं। पिछले करीब 20 वर्षों से बेसिक शिक्षा विभाग में जिले के भीतर समायोजन की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है। इस कारण विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के अनुपात में शिक्षकों का बेतरतीब आवंटन की शिकायत होती रहती है।   शिक्षकों के गैर जनपद स्थानांतरण तथा उनके सेवानिवृत्ति के पश्चात विभिन्न विद्यालय या तो अन्य शिक्षकों को संबद्ध करके या केवल शिक्षामित्र के सहारे संचालित हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में जिले के भीतर समायोजन होने से जहां बंद और एकल स्कूलों में नए शिक्षक मिल सकेंगे वहीं छात्र-छात्राओं के अनुपात में शिक्षक मिलने से बच्चों को गुणवत्ता पर शिक्षा भी मिल सकेगी। शहर के आसपास के विद्यालयों में छात्र संख्या के अनुपात में बहुत अधिक शिक्षक कार्यरत है

परिषदीय विद्यालयों की परीक्षाएं अब 20 मार्च से, इस सत्र में टाइम टेबल को लेकर तीसरा बदलाव

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प्रयागराज  : बेसिक शिक्षा परिषद के परिषदीय/मान्यता प्राप्त कक्षा एक से आठ तक के विद्यालयों की शैक्षिक सत्र 2023-2024 की वार्षिक परीक्षा का संशोधित कार्यक्रम सचिव प्रताप सिंह बघेल ने जारी किया है। संशोधित परीक्षा के मुताबिक अब यह परीक्षा 16 मार्च की बजाय 20 मार्च से शुरू होगी और समापन 27 मार्च को होगा। परीक्षा दो पालियों में सुबह 9:15 बजे से 11:45 तक तथा दोपहर 12:15 से 2:45 बजे तक कराई जाएगी। कक्षा एक की परीक्षा मौखिक होगी। कक्षा दो व तीन में परीक्षा लिखित एवं मौखिक होगी। लिखित व मौखिक परीक्षा का अधिभार 50-50 प्रतिशत रखा जाएगा। कक्षा चार व पांच की भी परीक्षा लिखित एवं मौखिक होगी, लेकिन लिखित व मौखिक परीक्षा का अधिभार 70 एवं 30 प्रतिशत होगा। कक्षा छह से आठ तक की परीक्षा लिखित होगी। लिखित वार्षिक परीक्षा 50 अंकों की होगी, जिसमें बहुविकल्पीय, अति लघुउत्तरीय, लघु उत्तरीय एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न होंगे। मौखिक परीक्षा की अवधि प्रधानाध्यापक निर्धारित करेंगे। कक्षा पांच की वार्षिक परीक्षा की उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन संकुल (न्याय पंचायत) स्तर पर अन्य विद्यालय के अध्यापकों से कराया जाएगा