6 साल से 1 महीने भी कम हुई बच्चे की उम्र तो भी नही मिलेगा एडमिसन, स्कूलों के नए नियमों ने बढ़ाई पैरेंट्स की टेन्शन

ऑक्सी होम सोसायटी में रहने वाली अनुष्का शर्मा इस बार अपनी पांच साल की बेटी के पहली में एडमिशन कराने के लिए स्कूल दर स्कूल भटक रही हैं। लेकिन हर जगह निराश होकर वापस आना पड़ा। 

कई स्कूलों में सीटें भरी हुई हैं, और कहीं कहा जाता है कि बेटी अभी छह साल की नहीं हुई है, इसलिए प्रेप में ही उसका एडमिशन कराना चाहिए। ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए पता नहीं है। वह पहली बार उसे दोबारा पढ़ाना नहीं चाहतीं, और उसे पहली बार नहीं मिल रहा है।


वह अब दिल्ली के विद्यालयों में भी संपर्क कर रही हैं, बाद में गाजियाबाद में भी। इस बार पैरंट्स, जो अपने बच्चे का नए एडमिशन करवा रहे हैं, का हाल है। इसलिए नई शिक्षा नीति। इस वर्ष नए नियम सख्ती से लागू किए गए हैं, जिसमें बच्चे को पहली क्लास में 6 प्लस ही होना चाहिए। ऐसे में स्कूलों को अब एक बड़ी चुनौती भी सामने आ गई है।

पैरंट्स कन्फ्यूज, स्कूल करवा रहे काउंसलिंग

इस बार नई पॉलिसी के तहत एडमिशन से कई पैरंट्स परेशान हैं। वे स्कूलों में घूम रहे हैं। जिन लोगों का बच्चा दो या तीन महीने के गैप पर पहली कक्षा में नहीं आ रहा है, वे बहुत परेशान हैं। ऐसे में, लगभग सभी स्कूलों में अभी तक नर्सरी में दाखिला लेने के लिए सीटें नहीं हैं। वहाँ पैरंट्स काउंसलिंग होती है। 

सन वैली इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल प्रीति गोयल ने बताया कि स्कूल में अभी भी प्रवेश जारी है। साथ ही अभिभावकों का काउसंलिंग किया जाता है। क्योंकि नियम बदलते रहते हैं यह सभी को पता नहीं है।

सेंट टेरेसा स्कूल की प्रिंसिपल रेनू श्रीवास्तव ने बताया कि कई अभिभावक ऐज में अंतर होने पर भी विश्वास नहीं कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि बच्चे को स्कूल में दाखिला दिया जाए। कई तो खरीद भी रहे हैं। ऐसे में, उन्हें समझाने के लिए काउंसलिंग सेशन होंगे। वनस्थली पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल मृदनलिनी ने कहा कि बहुत से अभिभावक आते हैं और पाठ्यक्रम और पैटर्न की जानकारी लेते हैं।

एडमिशन के लिए अभिभावक कई स्कूलों में जाते हैं, लेकिन वर्तमान में सभी स्कूलों में एक ही नियम हैं, इसलिए काउंसलिंग करके समझाया गया है। कई स्कूल प्रबंधन ने बताया कि अभिभावक कक्षा को फिर से शुरू करना नहीं चाहते, जिससे वे स्कूल प्रबंधन से लड़ने को भी तैयार हैं। दूसरे शिक्षण संस्थानों का हवाला दे रहे हैं।

नियम का पालन करना होगा

बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद, कोई शिकायत नहीं मिली है। लेकिन शिकायतों पर निगरानी भी होगी। ताकि बच्चों पर जरूरत से अधिक पढ़ाई का बोझ न पड़े, ये नियम सोच-समझकर बनाए गए हैं। इन्हें फॉलो करना चाहिए।

यह एज क्रिटेरिया नर्सरी है: तीन प्लस एलकेजी, चार प्लस यूकेजी, पांच प्लस पहली कक्षा, छह प्लस

नोट: बच्चे की एज 31 मार्च 2024 तक जोड़ी जाएगी।

2020 में नवीनतम शिक्षा नीति लागू

2020 में नई शिक्षा नीति की योजना लागू हुई, जिसमें केंद्र सरकार ने प्रवेश के समय न्यूनतम आयु के लिए निर्देश भी जारी किए। प्रदेश सरकार ने भी अप्रैल में इस संबंध में शासनादेश लागू किया था। इसके अनुसार, कक्षा एक में प्रवेश करने की आयु छह वर्ष थी। 

शासनादेश अप्रैल में लागू हुआ था, इसलिए उससे पहले हो चुके प्रवेश में आयु को लेकर राहत दी गई थी. इसके बाद से, छह साल से कम आयु के बच्चों को कक्षा एक में दाखिला नहीं देने के कड़े आदेश दिए गए।

सिल्वर लाइन प्रैस्टीज स्कूल गाजियाबाद के चेयरमैन सुभाष जैन ने बताया कि उस बच्चे की उम्र छह वर्ष है और वह अप्रैल के बाद कक्षा एक में प्रवेश करेगा। एचपी आवर्स स्कूल फॉर गर्ल्स के प्रबंधक प्रद्युम्मन जैन ने कहा कि स्कूल शासनादेश का पालन कर रहा है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गणित सीखने-सिखाने का सही क्रम क्या होना चाहिए?

गणित में जोड़ शिक्षण के तरीके और गतिविधियां, देखें गतिविधियों के माध्यम से

विद्यालयों में सहशैक्षिक गतिविधियों को कैसे क्रियान्वित करें?