विद्यालयों में सहशैक्षिक गतिविधियों को कैसे क्रियान्वित करें?
प्रारम्भिक विद्यालयों में सह शैक्षिक गतिविधियों के आयोजन में
प्रधानाध्यापक एवं अध्यापक की भूमिका को निम्नवत् देखा जा सकता है।
• विद्यालयों में सहशैक्षिक गतिविधियों को कैसे क्रियान्वित करें, इसके बारे में परस्पर चर्चा करना तथा आवश्यक सहयोग प्रदान करते हुए निरंतर संवाद बनाये रखना।
क्रियाकलापों का अनुश्रवण करना तथा आयी हुई समस्याओं का निराकरण सभी की सहभागिता द्वारा करना। इन क्रियाकलापों में बालिकाओं की सहभागिता अधिक से अधिक हो साथ ही साथ सभी छात्रों की प्रतिभागिता सुनिश्चित हो, इस हेतु सामूहिक जिम्मेदारी लेना।।
• समय सारिणी में खेलकूद/ पीटी,ड्राइंग, क्राफ्ट, संगीत, सिलाई/बुनाई व विज्ञान के कार्यों प्रतियोगिताएं हेतु स्थान व वादन को सुनिश्चित करना।
• स्कूलों में माहवार/त्रैमासिक कितनी बार किस प्रकार की प्रतियोगिताएं कराई गई, इसकी जानकारी प्राप्त करना एवं रिकार्ड करना। बच्चों के स्तर एवं रुचि के अनुसार कहानियां, चुटकुले, कविता आदि का संकलन स्वयं करना तथा बच्चों से कराना।
• विज्ञान/गणित सम्बन्धी प्रतियोगिताओं हेतु विषय से सम्बन्धित प्रश्न बैंक रखना।
आवश्यक वस्तुओं का संग्रह रखना।
जन सहभागिता एवं सहयोग हेतु जनसंपर्क मेले, बाल मेले, प्रदर्शनी का आयोजन, शिक्षाप्रद फिल्मों को दिखाने की व्यवस्था करना।
विद्यालय स्तर पर विभिन्न प्रकार की कार्यशाला, सेमीनार, गोष्ठियों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन शिक्षकों एवं बच्चों दोनों ही स्तरों के लिए किया जाना।
खेल गतिविधियां एवं प्रतियोगिताएं
बच्चों के बहुमुखी विकास और विद्यालय से लगाव के लिए खेल गतिविधियों एवं प्रतियोगिताओं आयोजन आवश्यक है। इनसे जहाँ एक और उनका शारीरिक- मानसिक विकास होता है वहीं धुरती फुर्ती भी बनी रहती है।
कुछ बच्चे जिनका रूझान खेल के प्रति अधिक होता है वे खेलों सहारे जीवन में बहुत आगे तक बढ़ जाते है।
खेल गतिविधियों में शामिल है- योग, व्यायाम पी. टी. आत्मरक्षा के तरीकों (जूड़ो/ताईक्वान्डो) साथ इनडोर-आउटडोर खेल।
हमारे विद्यालयों में खेल के लिये पीरियड भी निर्धारित हैं प्रार्थना गत और अतिरिक्त समय पर भी इन गतिविधियों के लिये अवसर हैं ।
हमारे विद्यालयों के बच्चे भन्न स्तर की खेल प्रतियोगतिाओं में भी भाग लेते है। निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियम के अनुसार हर विद्यालय में खेल सामग्री होना अनिवार्य किया गया है फलस्वरूप आजकल सभी विद्यालयों में खेल सामग्री उपलब्ध है।
अत: बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास हेतु में नियमित रूप से विद्यालय में खेल गतिविधियों का आयोजन करना चाहिए।
सम्भावित समय सारणी |
सामिग्री
सोचें!
आपके विद्यालय में कौन-कौन से उपकरण/सामग्री उपलब्ध है? इनको लगातार उपयोग और समृद्ध करने की क्या योजना है?
क्या आपके विद्यालय में बच्चों के लिए खेल प्रतियोगिताएँ होती हैं? यदि हाँ, तो कौन-कौन सी? यदि नहीं, तो हो पाएं, इसकी क्या कार्य योजना है?
क्या आपके विद्यालय के सभी शिक्षक/ बच्चे/एस. एम. सी. के सदस्य तथा अभिभावक इस व्यवस्था में शामिल हैं?
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