शिक्षण, अधिगम और आकलन में आई.सी.टी. (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) का समाकलन

यह मॉड्यूल आई.सी.टी. की अवधारणा और शिक्षण-अधिगम में इसकी संभावनाओं पर चर्चा करता है।

 मॉड्यूल का उद्देश्य शिक्षक को समीक्षात्मक रूप से विषयवस्तु, संदर्भ, शिक्षण-अधिगम की पद्धति का विश्लेषण करने और उपयुक्त आई.सी.टी. के बारे में जानने के लिए तैयार करना है।

 इसके साथ ही यह प्रभावी ढंग से समेकित नीतियाँ बनाने के बारे में भी उन्हें सक्षम बनाता है।


अधिगम के उद्देश्य:

इस मॉड्यूल को सही ढंग से समझने के बाद, शिक्षार्थी-

 • आई.सी.टी. का अर्थ स्पष्ट कर सकेंगे;

• विषयस्तु के मूल स्वरूप और शिक्षण-अधिगम की नीतियों के अनुकूल उपयुक्त शिक्षण साधनों की पहचान कर सकेंगे।

 • विविध विषयों के लिए शिक्षण, अधिगम व मूल्यांकन हेतु विभिन्न ई-केटेंट (डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप में उपलब्ध सामग्री), उपकरण, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर की जानकारी प्राप्त साधनों की पहचान कर सकेंगे;

• आई.सी.टी. विषयवस्तु शिक्षणशास्त्र समेकन के आधार पर शिक्षण-अधिगम की रूपरेखा निर्माण एवं क्रियान्वयन कर सकेंगे।


परामर्शदाता ध्यान दें:-

• परामर्शदाता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जरूरत के अनुसार प्रशिक्षण स्थल पर टेस्कटॉप/ लैपटॉप, प्रोजेक्शन सिस्टम, स्पीकर, मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध हो।

परामर्शदाता के लिए प्रशिक्षण के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री को पढ़ना व समझना जरूरी है।

 मॉड्यूल में दिए गए उदाहरणों के अलावा परामर्शदाता अन्य उदाहरणों का भी उपयोग कर सकते हैं।

 सत्र को आरंभ करने से पहले, सभी अनिवार्य संसाधनों को प्रशिक्षण स्थल पर उपयोग की जा रही प्रणालियों (डेस्कटॉप/लैपटॉप) के साथ जांचना आवश्यक है।

 * सत्र में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए शिक्षार्थियों को अपने मोबाइल स्मार्ट फ्रोन को साथ लाने के लिए सूचित किया जाना चाहिए। यदि संभव हो तो उसमें इंटरनेट की सुविधा भी होनी चाहिए

• मॉड्यूल में दी गई गतिविधियों का संचालन करने के लिए निर्देशों का पालन करें।


आई.सी.टी. की भूमिका:

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते हैं चूंकि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए वह एक विशिष्ट तरीके से सीखता है।

 वास्तविकता तो यह है कि शिक्षार्थियों को अगर एक से अधिक ज्ञानेंद्रियों का उपयोग करके पढ़ाया जाए, तो वे बेहतर ढंग से सीख सकते हैं। अधिगम को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक से अधिक ज्ञानेंद्रिय कार्यनीतियाँ दृश्य, श्रवण, गतिसंवेदी और स्पर्शनीय (यानी सुनना,देखना, सूंघना, चखना और छूना) है।

पाठ्यपुस्तकें, आस-पास का परिवेश, कक्षाओं की चारदीवारों के भीतर और बाहर हुए अनुभव शिक्षण-अधिगम के संसाधन अधिगम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चा स्वयं सीखने वाला, आत्मनिर्भर, समीक्षात्मक और रचनात्मक विचारक तथा समस्या समाधानकर्ता बने। 

इसके लिए उसे सक्षम बनाने की आवश्यकता है। इसके लिए बच्चे को आँकड़े सूचना एकत्र करने, विश्लेषण करने, संश्लेषण करने और आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण तथा इसे दूसरों के साथ साझा करने की आवश्यकता होती है।

 ये प्रक्रियाएँ बच्चों को अवधारणा गठन में मदद करती हैं। अत: जरूरी है कि बच्चे पाठ्यपुस्तकों के अलावा भी ज्ञान अर्जित करें और अधिक से अधिक डिजिटल और बाह्य संसाधनों का उपयोग करें। 

इसी पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आई.सी.टी.) शिक्षण-अधिगम परिवेश में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। बहुत ही कम समय में आई.सी.टी., आधुनिक समाज के बुनियादी निर्माण ढाँचे में से एक बन गया है। आजकल आई.सी.टी. की समझ और बुनियादी कौशल में महारत हासिल करना, पढ़ने-लिखने और संख्यात्मकता के साथ-साथ शिक्षा के मुख्य भाग का एक हिस्सा बन गया है।

आई.सी.टी.की अवधारणा:


                                         गतिविधि 1




            यूनेस्को के अनुसार आई.सी.टी. विभिन्न श्रेणियों के तकनीकी उपकरणों और संसाधनों का उल्लेख करता है जिनका उपयोग सूचनाओं के निर्माण, संग्रहण, संचारण, साझा करने या आदान-प्रदान करने के लिए किया जाता है।

 इन तकनीकी उपकरणों और संसाधनों में कंप्यूटर, इंटरनेट (वेबसाइट, ब्लॉग और ईमेल), सीधे प्रसारण की प्रौद्योगिकी रेडियो, टेलीविजन और वेबकास्टिंग), रिकाट प्रसारण ग्रौद्योगिकी (पौडकास्टिंग, ऑडियो और वीडियो प्लेयर और स्टोरेज उपकरण) और टेलीफोन (फिक्स्ड मोबाइल) उप्रह, दृश्य चीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि) शामिल हैं।

किसी भी तकनीक या उपकरण को आई.सी.टी. के रूप में कैसे वर्गीकृत किया जाए?

आइए, स्मार्ट फ़ोन के उदाहरण लेते हैं। स्मार्ट फ़ोन को आई सी.टी. उपकरण के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है क्योंकि इसका उपयोग एक डिजिटल इमेज (कवि) बनाने और उसे जब भी आवश्यक हो, संग्रहित और पुनः प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।


 जरूरत के अनुसार डिजिटल इमेज (कवि) में बदलाव भी किया जा सकता है और जिसे दूसरों को भेजकर, उस पर प्रतिक्रिया भी प्राप्त की जा सकती है।

 इस प्रकार डिजिटल सूचना के निर्माण, संग्रहण, पुनः प्राप्ति, फेरबदल संचारण और प्राप्त करने के लिए उपयोग किए जाने वाले किसी भी उपकरण/तकनीक को  आई.सी.टी. के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

आई.सी.टी. ने शिक्षण-अधिगम सहित सभी क्षेत्रों में शिक्षक किस तरह से सीखने और मूल्यांकन के विस्तार  के लिए सामग्री पर विचार करते हैं, उचित तरीकों का उपयोग करके सामग्री को पहुंचाते हैं, उपयुक्त संसाधनों को एकीकृत करते हैं और कार्यनीतियों को अपनाते हैं, के तरीके पर भी पड़ा है। 

डिजिटल दुनिया में होने वाली प्रगति को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को शिक्षण और अधिगम के लिए आई.सी.टी. का व्यावसायिक रूप से उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में आई.सी.टी. को समेकित करने का अर्थ केवल इंटरनेट और डिजिटल उपकरणों का उपयोग करना ही नहीं है, बल्कि जो क्रांतिकारी बदलाव ला दिये हैं।

 इसका प्रभाव, नए युग के  विषय पढ़ाना और सीखना है, यह उससे संबंधित तक्ष्यो और सौखने के प्रतिफलो को प्राप्त करने का भी माध्यम है।


 शिक्षकों को समझना चाहिए कि कैसे तकनीक को शिक्षणशास्त्र और विषयवस्तु को सीखने के लिए एकीकृत किया जाता है, जिससे ज्ञान 

अर्जित होता है। नीचे दिए गए चित्र में यह दिखाया गया है कि कैसे तेज़ी से बदलती तकनीकों को शैक्षणिक पद्धतियों और विषयवस्तु से जुड़े क्षेत्रों के साथ एकीकृत किया जा सकता है।  आई.सी.टी. इस संदर्भ के बारे में बात करता है।

आई.सी.टी. को समेकित करते समय विचार किए जाने वाले मानदंड:

 विचार किए जाने वाले प्रमुख मानदण्ड संदर्भ, विषयवस्तु या विषय का स्वरूप, शिक्षण अधिगम विधि और तकनीकी के प्रकार और उसकी विशेषताएँ आदि हैं।


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