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मिशन प्रेरणा की ई-पाठशाला 4.0 (04/06/2021)

 मिशन प्रेरणा की ई-पाठशाला 4.0 (04/06/2021) मिशन प्रेरणा के अन्तर्गत दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले, ई-पाठशाला से संबंधित,कक्षा 1 से 8 तक के वीडियो समय पर पाने के लिए चैनल को subscribe कर लें शासन के निर्देशानुसार ये लिंक अपको रोजाना स्कूल के वॉट्सएप ग्रुप में भेजने है कक्षा 1, विषय गणित / पाठ 16, इकाई और दहाई  👇👇👇 https://youtu.be/QgmtTMC1Zc0 कक्षा 2, विषय गणित /पाठ 5, कौन कितनी बार  👇👇👇 https://youtu.be/DA9mP-s2Qxg कक्षा 3, विषय गणित / सीको का कमाल  👇👇👇 https://youtu.be/26jQ7t2HMts कक्षा 4, विषय गणित / पाठ 3, संख्याओं का जोड़  👇👇👇 https://youtu.be/PK35j2NPvDE कक्षा 5, हमारा परिवेश , परिवार कल आज और कल  👇👇👇 https://youtu.be/kPbvOi7qeDg कक्षा 6, विषय गणित, पूर्ण संख्याएं  👇👇👇 https://youtu.be/AtBqKBp_1Nw कक्षा 7, विषय विज्ञान /पाठ 2, रेशो से वस्त्रों तक  👇👇👇 https://youtu.be/0j0wbcRbOSk कक्षा 8 , विषय गणित / वर्गमूल  👇👇👇 https://youtu.be/BKKVZLfQOjc

विद्यालय नेतृत्व विकास कार्यक्रम का चतुर्थ दीक्षा कोर्स पुनः दीक्षा app पर उपलब्ध, देखें लिंक

 सभी BSA, BEO,SRG, ARP एवं प्रधानाध्यापक/प्रधानाध्यापिका ध्यान दें:- विद्यालय नेतृत्व विकास कार्यक्रम का चतुर्थ दीक्षा कोर्स पुनः दीक्षा app पर उपलब्ध:- उपरोक्त के संदर्भ में चतुर्थ कोर्स अब दीक्षा प्लेटफार्म पर पुनः उपलब्ध है। इस कोर्स से सम्बंधित निम्नलिखित जानकारी है-  1. कोर्स का नाम - अनुदेशात्मक/ निर्देशात्मक नेतृत्व 2. मॉड्यूल- यह कोर्स 5 भाग में विभाजित किया गया है, जिसके अंतर्गत अनुदेशात्मक नेतृत्व का परिचय, अनुदेशात्मक नेतृत्व मूल्यांकन एवं अनुदेशात्मक नेतृत्व के लिए कुछ रणनीतियां सम्मिलित की गयी हैं।  3. कुल समयावधि- कोर्स की कुल अवधि 30 मिनट है। कोर्स के पश्चात दिए गए अंतिम मूल्यांकन प्रश्नों के उत्तर देने पर ही कोर्स पूर्ण माना जायेगा।  4. दीक्षा प्लेटफार्म पर कोर्स  को पूर्ण करने हेतु लिंक-  https://diksha.gov.in/explore-course/course/do_313253563954642944126756 5. यह कोर्स सभी SRG, ARP,और सभी हेड टीचरों के लिए अनिवार्य है। साथ ही साथ जिन्होनें अप्रैल माह में यह कोर्स पूर्ण कर लिया था उन सभी को  यह कोर्स फिर से नहीं करना हैं। कृपया पाठ्यक्रम 30 जून 2021 से पहले समाप्त करे

मिशन प्रेरणा की ई - पाठशाला

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 || मिशन प्रेरणा की ई - पाठशाला || पिछले कुछ महीने हम सभी के लिए कठिन रहे हैं परन्तु ऐसे समय में सभी द्वारा जिस प्रकार एक दूसरे को सहयोग दिया गया है वह सराहनीय है। ऐसे समय में अपने माहौल को सकारात्मक रखने और मनोबल को बनाए रखने की आवश्यकता है।  यही ध्यान में रखते हुए ई-पाठशाला की एक नई श्रृंखला शुरू की जा रही है जिसमें रोचक और मज़ेदार सामग्री आप सभी से *हर रविवार सुबह 10 बजे साझा की जाएगी। इन्हें बच्चों से साझा करें, उनसे गतिविधियों की फोटो या वीडियो लें। आशा है इस कार्यक्रम से सभी के चेहरों पर मुस्कान आएगी। नीचे दिए चित्रों में यह बताया गया है कि इस नई श्रृंखला में शिक्षक, मेंटर एवं 'प्रेरणा साथी' क्या-क्या कदम उठा सकते हैं। इसका पूर्ण उपयोग करें।  1. इस श्रृंखला में शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वे अपने घरों से हर सप्ताह व्हाट्सप्प ग्रुप पर भेजी गयी ई-पाठशाला सामग्री अभिभावकों को साझा करेंगें। इसके साथ वे अपनी कक्षा के सभी अभिभावकों के साथ हर सप्ताह संपर्क करेंगें एवं 'प्रेरणा साथी' की पहचान कर उन्हें bit.ly/PrernaSaathi पर रजिस्टर करेंगें। " 2. इस समय में S

आकलन प्रपत्र का निर्माण कैसे करें? देखें कक्षा- 1 गणित का सैम्पल प्रपत्र

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आकलन प्रपत्र का निर्माण बच्चों के स्तर को जानने के लिए किया जाता है, जिससे आगामी शिक्षण योजना का निर्माण किया जा सके। प्रारंभिक आकलन के पश्चात ही शिक्षण योजना के अनुसार कार्य प्रारंभ करना चाहिए।  

शिक्षण योजना कैसे बनायें? देखें कक्षा शिक्षण हेतु कुछ शिक्षण योजनाएँ नमूने के रूप में

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शिक्षण योजनाएं:-  हम सभी मानते हैं कि 'सीखने-सिखाने की प्रकिया और शिक्षण की सफलता शिक्षण योजनाओं पर निर्भर होती है।  इसलिए कक्षा शिक्षण हेतु कुछ शिक्षण योजनाएँ नमूने के रूप में जा रही हैं जो विभिन्न कक्षाओं और विषयों पर आधारित हैं। इन शिक्षण योजनाओं में लर्निंग आउटकम को केन्द्र बिन्दु (Focal Point) के रूप में लिया गया है।  पाठ्यकरम की भिन्न-भिन्न अताओं/ कौशलों के लिये अनेक गतिविधियों और अभ्यासों को भी शामिल किया गया हैं। साथ ही इनमें पाठ्यपुस्तक से संबंधित प्रकरणों और कार्यपुस्तिका के अभ्यासों को भी शामिल किया गया है।  शिक्षण योजना के विभिन्न चरणों हेतु अनुमानित समय का भी बँटवारा किया गया है । आपसे अपेक्षा है- सभी शिक्षक साथी इसी पैटर्न पर शिक्षण योजना बनाकर अपनी कक्षाओं में सीखने-सिखाने की गतिविधि संचालित करेंगे। इन शिक्षण योजनाओं में सुझायी गयी गतिविधियों के अलावा अन्य गतिविधियों को भी आवश्यकतानुसार शामिल कर उपयोग करेंगे। अपनी योजना के आधार पर उपयुक्त सामग्री और गतिविधियों की तैयारी करेंगे और कक्षा में एक बेहतर वातावरण बनाएंगे। चयनित लर्निंग आउटकम से संबंधित पाठ को दिवस/घंटों /खण

भाषा विकास के तरीके एवं सम्बन्धित गतिविधियां

शिक्षक प्रतिवर्ष माह अप्रैल में कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों का आरग्भिक परीक्षण करके उनके अधिगम सम्प्रापित स्तर जानने की प्रक्रिया करेंगे जो बच्चे आरम्भिक परीक्षण में कक्षा 1-2 के लर्निग आउटकम के स्तर पर होंगे उन्हें 50 कार्य दिवसीय फाउण्डेशन लर्निंग शिविर में भाषा/ गणितीय गतिविधियां सम्पादित करके मुख्यधारा में लाना होगा तत्पश्चात् कक्षा 3-4 और 5 की भाषा / गणितीय दक्षताओं के विकास की गतिविधियों सम्पादित करना उचित होगा। भाषा उपयोग से ही सीखी जाती है। इसलिए भाषा शिक्षण में सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने के कारण का उपयोग करना चाहिए।  शिक्षक के रूप में हमारा कार्य है बच्चों में भाषा के विविध रूपों में उपयोग का कारण उत्पन्न करना।  भाषा में अर्थ का निर्माण सन्दर्भ के सहारे होता है। हम अपने मन में कही अथवा सुनी गई बात के अर्थ का निर्माण करते हैं, फिर उसकी अभिव्यक्ति होती है मन में शब्दों के माध्यम से छवि बनाना भाषा सीखने के लिए सबसे आवश्यक है। इस स्तर पर भाषा शिक्षण में निम्नांकित बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। कक्षा में व्यक्तिगत और समूह कार्य का उचित संतुलन बनाये रखना। कक्षा में बातचीत को

गणित सीखने-सिखाने का सही क्रम क्या होना चाहिए?

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बच्चों के पास स्कूल आने से पहले गणित से सम्बन्धित अनेक अनुभव पास होते हैं बच्चों के तमाम खेल ऐसे जिनमें वे सैंकड़े से लेकर हजार तक का हिसाब रखते हैं। वे अपने खेलों में चीजों का बराबर बँटवारा कर लेते हैं।  अपनी चीजों का हिसाब रखते हैं। छोटा-बड़ा, कम-ज्यादा, आगे-पीछे, उपर-नीचे, समूह बनाना, तुलना करना, गणना करना, मुद्रा की पहचान, दूरी का अनुमान, घटना-बढ़ना जैसी तमाम अवधारणाओं से बच्चे परिचित होते हैं।  हम बच्चों को प्रतीक ही सिखाते हैं। उनके अनुभवों को प्रतीकों से जोड़ना महत्वपूर्ण है। गणित मूर्त और अमूर्त से जुड़ने और जूझने का प्रयास है अवधारणाएँ अमूर्त होती हैं चाहे विषय कोई भी हो।  गणितीय अमूर्तता को मूर्त, ठोस चीजों की मदद से सरल बनाया जा सकता है। जब मूर्त को अमूर्त से जोड़ा जाता है तो अमूर्त का अर्थ स्पष्ट हो जाता है।  प्रस्तुतीकरण के तरीकों से भी कई बार गणित अमूर्त प्रतीत होने लगता है। शुरुआती दिनों में गणित सीखने में ठोस वस्तुओं की भूमिका अहम होती है इस उम्र में बच्चे स्वाभाविक तौर पर तरह-तरह की चीजों से खेलते हैं, उन्हें जमाते. बिगाड़ते और फिर से जमाते हैं।  इस प्रक्रिया में उनकी